संजय लीला भंसाली का जीवन और संघर्ष एक फिल्मी कहानी से से कम नहीं जाने उनके जीवन के अनमोल रहस्य

संजय लीला भंसाली का संघर्ष

संजय लीला भंसाली का नाम आज देश के सबसे बड़े निर्देशकों के तौर पर नाम उभरा हुआ है उन सभी प्रतिष्ठित निदेशक में उनका नाम भी काफी अव्वल रहता है!जब हम उनकी सफलता और मेहनत के के बारे में बात करें तो कभी हार नहीं मानने की भावना से भरी हुई है उनकी यात्रा एक साधारण परिवार से लेकर बॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक बनने के लिए उनके जीवन में काफी अच्छी और बुरे दिन रहे हैं|

उनके जीवन में उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है संजय लीला भंसाली का जन्म 24 फरवरी 1963 को मुंबई के एक साधारण गुजराती परिवार में हुआ था| उनके पिता नवीन भंसाली एक छोटे प्रोड्यूसर थे लेकिन पारिवारिक हालत इतनी अच्छी नहीं थी जिसके कारण उन्हें कहीं कठिनाइयों का सामना बचपन में ही करना पड़ा उनके पिता की फिल्में अधिक सफल नहीं होती थी इसलिए उस टाइम पर उनकी हालत काफी बिगड़ी हुई थी!

उनके बचपन के संघर्ष ने उनके मन पर काफी प्रभाव डाला है जिसका असर उनकी फिल्मों में भी हमें देखने को मिलता है उनके साथ पैसों की कमी की समस्या हमेशा उनके साथ रही लेकिन उनके अंदर हमेशा एक बड़े इंसान बनने की इच्छा कभी नहीं मिट्टी उनके दिल में कला और संगीत को लेकर एक गहरा प्रेम था जिसके कारण वह फिल्में लगातार घंटे तक देखते रहते थे और उनके दिमाग में अलग-अलग दृश्य और कहानियां भी बना करती थी!

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संजय लीला भंसाली का स्कूली जीवन

मुंबई उनकी स्कूली शिक्षा पूरी हुई और फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया पुणे में उन्होंने दाखिला लिया और फिल्म को लेकर फिल्म की सभी बारीकियां उन्होंने वहां पर जाकर अच्छी तरीके से सीख ली और खुद को एक अच्छे निर्देशक के रूप में तैयार किया लेकिन वह हमेशा यह सोचते रहते थे कि क्या मेरा सपना पूरा होगा या नहीं लेकिन कहीं चुनौतियां आने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वह लगातार अपनी कोशिश करते रहें|

कॉलेज से निकलकर उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में काम ढूंढना शुरू किया शुरुआती दिनों में उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया और डायरेक्टर बने और निर्देशक की बारीकियां सीख ली और एक अच्छे निर्देशक के रूप में वहीं से उनकी जर्नी शुरू हुई थी कड़ी मेहनत करने के बाद भी उन्हें सही अवसर मिल नहीं रहे थे जिसके कारण उनकी गरीबी से बाहर निकालने की समस्या वही की वहीं खड़ी थी!

वह लगातार अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने की कोशिश कर रहे थे और अपने करियर को भी एक सही दिशा देने की सोच रहे थे और उन्हें जब विधु विनोद चोपड़ा के साथ काम करने का मौका मिला |तब उन्हें वह बड़ा मौका मिल गया जहां से उनको पहचान मिली उनको फिल्म 1942 में ए लव स्टोरी मैं असिस्टेंट की डायरेक्टर के रूप में काम किया था विधु विनोद चोपड़ा के साथ उनके मत भेद हो गए थे जिसके कारण उनकी वह नौकरी भी चली गई थी!

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उनके जीवन के उतार-चढ़ाव

लेकिन इस असफलता ने उनको निराश नहीं किया बल्कि उन्होंने अपना आत्मविश्वास फिर से बढ़ाया और तय किया और उन्होंने निर्देशक बनने की इच्छा को लेकर आगे बढ़ाने के लिए मौका ढूंढने लगे और यह निर्देशक बनने की इच्छा को पूरी करने के लिए निकल पड़े|

1996 में खामोशी द म्यूजिकल का निर्देशन उन्होंने किया यह उनकी पहली फिल्म थी एक निर्देशक के रूप में उसे फिल्म में सलमान खान और मनीषा कोइराला को लिया गया था !यह एक म्यूजिकल फिल्म थी इस ड्रामा में उन्होंने एक भावुक और दिल छू लेने वाली कहानी बनाई थी लेकिन यह बुरी तरीके से बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही जिससे उनकों गहरा सदमा लगा था इस असफलता का जो कि उन्हें अंदर से तोड़ दिया था |

आर्थिक तंगी के बीच असफलता का भी बोझ उनके सिर पर पड़ा था उनका करियर बिल्कुल लटक सा गया था लेकिन 1999 में हम दिल दे चुके सनम मूवी से संजय लीला भंसाली को ऊंचाइयां यानी की सफलता हाथ लगी| इस फिल्म में ऐश्वर्या राय सलमान खान और अजय देवगन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी उस फिल्म की सफलता ने उनके करियर में चार चांद लगा दिया था और एक बड़े निर्देशक बनने की शुरुआत पर यह पहला कदम था!

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सफलता का जुनून

उसके बाद उन्होंने देवदास फिल्म में काम किया और यह देवदास फिल्म भी सुपरहिट साबित हुई और सभी लोगों ने उनके निर्देशन की कला का लोहा माना इस फिल्म में शाहरुख ऐश्वर्या और माधुरी दीक्षित ने काम किया था! देवदास फिल्म ने एक नया ही अध्याय खड़ा कर दिया था बॉलीवुड की इतिहास में यह फिल्म उन्हें राष्ट्रीय लेवल पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर बहुत हिट साबित हुई और उन्हें कयी अवार्ड इस फिल्म के लिए मिले|

उसके बाद उन्होंने 2005 में ब्लैक मूवी की इस मूवी में अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी ने इस फिल्म में काम किया इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय तौर पर बहुत प्रसिद्ध दिलाए और यह फिल्म भी बहुत ज्यादा चली इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय तौर पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड भी दिया गया!

उन्होंने कभी हार नहीं मानी और 2013 में रामलीला के साथ बड़े पर्दे पर वापसी की इस मूवी ने उन्हें बहुत ही ज्यादा पॉपुलर कर दिया और उन्हें एक बड़े ही बेसिक के रूप में लोगों के बीच प्रसिद्ध कर दिया|

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